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थार के दो नेताओं को पार्टी में नहीं लिया जायेगा, साफ साफ कहा, दोनों पर है अनुशासनहीनता का गम्भीर आरोप

  • कई राज्य के दिग्गज पार्टी में लाने का कर रहे थे प्रयास
  • एक बयान से उनको भी दे दिया दो टूक जवाब

अभिषेक आचार्य

RNE Special.

राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह के एक ताजा बयान ने कांग्रेस की बदलती राजनीति को दर्शा दिया है। इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि अब अनुशासनहीनता, पार्टी विरोध करने वालों को पहले की तरह माफ नहीं किया जाएगा। भले ही उनकी सिफारिश कोई बड़ा नेता ही क्यों न कर रहा हो।

रंधावा ने बयान में यह कहा कि थार के दो दिग्गज नेताओं को फिर से पार्टी में न लेने का निर्णय मैंने किया है। क्योंकि इन नेताओं ने अनुशासनहीनता की थी। पार्टी उम्मीदवार का विरोध किया था। साफ बात है कि रंधावा ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया, मगर सब जानते है कि वे थार के दिग्गज नेता अमीन खान व मेवाराम जैन की बात कर रहे है। क्योंकि ये ही दो नेता फिर से कांग्रेस में आने के लिए कवायद कर रहे है।

राहुल के बयान का असर:

राहुल गांधी ने इसी सप्ताह मध्यप्रदेश की यात्रा में बयान दिया था कि लंगड़े घोड़ो को अब घर बिठाना है। रेस के घोड़ो को मैदान में उतारना है। बारात के घोड़ो को संगठन तक सीमित रखना है। राहुल के इस बयान के बाद रंधावा ने भी साफ साफ यह बयान दे दिया।

मामला ये है इस बयान में:

कांग्रेस ने बाड़मेर में जयहिंद रैली तय की। इसमें रंधावा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद डोटासरा, हरीश चौधरी, टीकाराम जुली की भागीदारी थी।

रैली का दायित्त्व हरीश चौधरी व सांसद उमेदाराम के पास था। उनको भनक लग गई कि कांग्रेस से निष्काषित अमीन खान व मेवाराम जैन किसी बड़े नेता के कहने पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का स्वागत करेंगे। इन दोनो नेताओं ने अलग अलग जगह पर अपने समर्थकों की भीड़ जुटा ली। जाहिर है किसी बड़े नेता के इशारे पर ही ये तैयारी हुई थी। रूट का पता चला।

हरीश चौधरी व उमेदाराम बेनीवाल को ये पता चल गया। इन्होंने कांग्रेस नेताओं का रूट ही बदल दिया। अमीन खान व उनके समर्थक, मेवाराम व उनके समर्थक ठगे से रह गये। बाद में इन्होंने हरीश चौधरी पर जमकर गुस्सा उतारा, उनके खिलाफ नारे लगाये। जाहिर है ये भी किसी बड़े नेता से ही उनको पता चला था।

मंच पर थी सुगबुगाहट:

इन दोनो नेताओं को काटने की सुगबुगाहट मंच पर भी थी। क्योंकि ये एक समय मे अशोक गहलोत के निकट ही थे। पर हरीश चौधरी ने अपने भाषण में इनकी पार्टी में वापसी का खुलकर विरोध कर दिया। हरीश चौधरी की आलाकमान तक अच्छी पकड़ भी है।

इसी मंच पर अशोक गहलोत ने भी भाषण दिया। वे अपरोक्ष रूप से दोनों नेताओं व पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात भी करते रहे। मगर खुलकर कुछ नहीं बोले।

प्रत्युत्तर रंधावा ने दिया:

अब रंधावा ने दो टूक कह दिया है कि इन नेताओं की पार्टी में वापसी नही होगी। ये एक तरह से उन नेताओं को भी जवाब है को इनकी पैरवी कर रहे थे। रंधावा के बयान ने अब स्पष्ट कर दिया कि राज्य में कांग्रेस अब बदलाव के घोड़े पर सवार हो गई है।